आपके आवेदन पर कार्रवाई करते हुए लोक सूचना अधिकारी को फौरन यह तय करने की जरूरत होगी कि क्या आपके द्वारा निवेदित सूचनाः
(क) कार्यालय में उपलब्ध है, और अगर नहीं, तो उसे आपका आवेदन सम्बन्धित लोक प्राधिकरण को हस्तांतरित करना होगा और आपको लिखित में इसकी सूचना देनी होगी;
(ख) तीसरे पक्ष की गोपनीय सूचना की श्रेणी में आती है और कोई फैसला करने से पहले तीसरे पक्ष से विचार-विमर्श करने की जरूरत है; और
(ग) छूट प्राप्त सूचनाओं की श्रेणी में आती है और क्या उस सूचना को सार्वजनिक करने में कोई जन हित है।
अगर लोक सूचना अधिकारी आपको सूचना देने का फैसला कर लेता है, तो वह आपको तीस दिनों के भीतर अपने निर्णय का नोटिस भेजेगा। नोटिस में कई बातें शामिल होंगी जैसेः आपने जिस सूचना के लिये निवेदन किया है, उसे उपलब्ध करने के लिये, कितना अतिरिक्त शुल्क आपको देना आवश्यक है, और उस निर्णय के विरुद्ध आप कहाँ और कितने दिनों में अपील कर सकते हैं या फिर जिस रूप में सूचना देने के लिये लोक सूचना अधिकारी ने निर्णय लिया है उस निर्णय के विरूद्ध आप कहाँ अपील कर सकते हैं; साथ ही अपीलीय प्राधिकरण के विवरण व पता और अपील के लिये शुल्क की मात्रा (अगर अपील के नियमों में उल्लेखित है43) ध्यान रखें कि अगर लोक सूचना अधिकारी अधिनियम द्वारा निर्धारित समयावधि के भीतर जवाब नहीं दे पाता, तो आपको सूचना निःशुल्क मिलना चाहिए।44
सूचना उपलब्ध कराने के लिये केन्द्र व सभी राज्य सरकारों ने अलग-अलग शुल्क निर्धारित किये हैं (विवरणों के लिये देखें परिशिष्ट 2)। लोक सूचना अधिकारी द्वारा भेजे गये नोटिस में इस बात को भी बताया जाना चाहिए कि शुल्क की गणना किस प्रकार की गई है।45उदाहरण के लिये, अगर आपने कोई ऐसी सूचना मांगी है जो ए4 आकार के 1,000 पृष्ठों में है और सम्बन्धित सरकार के शुल्क के नियमों में ए4 आकार का एक पृष्ठ उपलब्ध कराने की लागत 2 रू. प्रति पृष्ठ तय की गई है, तो लोक सूचना अधिकारी को दर्शाना होगा कि कुल लागतः 1,000 X 2 = 2,000 रु.। अगर सम्बन्धित सरकार के शुल्क के नियमों में पहले से उल्लेखित नहीं है तो लोक सूचना अधिकारी के पास सूचना को खोजने, एकत्रित करने या प्रोसेस करने के लिये आपसे अतिरिक्त शुल्क लेने की शक्ति नहीं होगी।
आपको भेजे गये निर्णय के नोटिस में लोक सूचना अधिकारी आपसे निर्धारित शुल्क अदा करने के लिये कहेगा ताकि सूचना आपको भेजी जा सके। महाराष्ट्र जैसे कुछ राज्यों में डाक द्वारा सूचना भेजे जाने की लागत को हिसाब लगा कर शुल्क में ही शामिल कर लिया जाता है। लेकिन, अगर आपके लिये स्वयं जा कर सूचना लेना संभव है, तो ऐसा करने के कोई भी कानूनी बाधा नहीं है। याद रखें की किसी दस्तावेज की प्रतियाँ हासिल करने से पहले, आपको शुल्क देकर (केन्द्र सरकार के शुल्क नियमों47 के अनुसार 5 रू. प्रति घंटा) सूचना का निरीक्षण करने का भी अधिकार है। दस्तावेजों का निरीक्षण कर आप सूचना पाने की लागत घटा सकते हैं क्योंकि निरीक्षण के दौरान आप तय कर सकते हैं कि आपको वास्तव में कौन से दस्तावेज की जरूरत है। नोटिस भेजे जाने और अतिरिक्त शुल्क के भुगतान के बीच के समय को सूचना प्रदान करने के लिये तय 30 दिनों की अवधि से निकाल दिया जाता है।
दुर्भाग्यवश, कुछ राज्य सरकारों ने भारी-भरकम अतिरिक्त शुल्क लगा दिये हैं। अगर आपको लगता है कि सूचना के लिये मांगा जा रहा अतिरिक्त शुल्क बहुत ज्यादा है, तो आप विभाग के अपील प्राधिकरण या सम्बन्धित सूचना आयोग से शिकायत कर सकते हैं (विस्तृत विवरणों के लिये देखें भाग 8)। अगर आपके द्वारा अपने गरीबी रेखा से नीचे होने का प्रमाण देने के बावजूद लोक सूचना अधिकारी आपसे सूचना प्रदान करने के लिये पैसा लेता है, तो आपको सम्बन्धित सूचना आयोग के पास शिकायत भेजने का अधिकार है।
लोक सूचना अधिकारी केवल तब आपके आवेदन को रद्द कर सकता है जब आपके द्वारा निवेदित सूचना अधिनियम के द्वारा छूट प्राप्त श्रेणी के तहत आती हो (विवरणों के लिये देखें भाग 4) और साथ ही लोक सूचना अधिकारी यह फैसला करे कि उस सूचना को जारी करने में जनहित की सर्वोच्चता का प्रश्न प्रासंगिक नहीं है। इसके अलावा अधिनियम में किसी सूचना को देने से इंकार करने का कोई अन्य औचित्य नहीं है। उदाहरण के लिये, यह कहना भर काफी नहीं है कि सूचना से सरकार या किसी अधिकारी को परेशानी होगी या आपने सूचना चाहने के लिये कोई पर्याप्त सही कारण नहीं बताया है। अब आपके पास सूचना पाने का कानूनी अधिकार है और वस्तुतः गोपनीयता का औचित्य साबित करना उस लोक प्राधिकरण की जिम्मेदारी है।
लोक सूचना अधिकारी को 30 दिन की समयावधि के भीतर आपके आवेदन को रद्द करने के फैसले का लिखित नोटिस आपको देना होगा।51 फैसले के नोटिस में निम्न बातें बताना जरूरी हैः
(क) आवेदन को रद्द किये जाने के कारण, जिनमें छूट की जिस श्रेणी को आधार बनाया जा रहा है, उसके बारे में सूचना तथा लोक सूचना अधिकारी ने फैसला करते वक्त जिन तथ्यों को प्रासंगिक माना, उनके बारे में जानकारी शामिल हैं;
(ख) वह समयावधि जिसके भीतर आप अपील कर सकते हैं; और
(ग) उस अपील प्राधिकरण का नाम/पता और अन्य सम्पर्क विवरण जिसके यहाँ आप अपील कर सकते हैं।
अगर लोक सूचना अधिकारी आपको निर्णय का नोटिस नहीं देता, तो उसे आपके आवेदन को रद्द मानना यानी “डीम्ड रेफ्यूजल” कहा जायेगा। तब आप विभाग के अपील प्राधिकरण में अपील कर सकते हैं या सम्बन्धित सूचना आयोग को शिकायत भेज सकते हैं (विवरणों के लिये देखें भाग 8)।
42धारा 11(3)
43धारा 7(3)
44धारा 7(6)
45धारा 7(3)(ए)
46धारा 4, महाराष्ट्र के सूचना अधिकार नियम 2005
47धारा 2, केन्द्रीय सूचना अधिकार (शुल्क व लागत नियमन) (संशोधन) नियम 2005
48धारा 7(3)(ए)
49केन्द्रीय सूचना आयोग (2006) अपील नं. 10/1/2005 सीआईसी, 25 फरवरी www.cic.gov.in मार्च 20, 2006
50धारा 7(9)
51धारा 7(8)
52धारा 7(2)
53धारा 10
(ख) तीसरे पक्ष की गोपनीय सूचना की श्रेणी में आती है और कोई फैसला करने से पहले तीसरे पक्ष से विचार-विमर्श करने की जरूरत है; और
(ग) छूट प्राप्त सूचनाओं की श्रेणी में आती है और क्या उस सूचना को सार्वजनिक करने में कोई जन हित है।
अगर लोक सूचना अधिकारी मेरे आवेदन को मंजूर करे तो?
अगर लोक सूचना अधिकारी आपको सूचना देने का फैसला कर लेता है, तो वह आपको तीस दिनों के भीतर अपने निर्णय का नोटिस भेजेगा। नोटिस में कई बातें शामिल होंगी जैसेः आपने जिस सूचना के लिये निवेदन किया है, उसे उपलब्ध करने के लिये, कितना अतिरिक्त शुल्क आपको देना आवश्यक है, और उस निर्णय के विरुद्ध आप कहाँ और कितने दिनों में अपील कर सकते हैं या फिर जिस रूप में सूचना देने के लिये लोक सूचना अधिकारी ने निर्णय लिया है उस निर्णय के विरूद्ध आप कहाँ अपील कर सकते हैं; साथ ही अपीलीय प्राधिकरण के विवरण व पता और अपील के लिये शुल्क की मात्रा (अगर अपील के नियमों में उल्लेखित है43) ध्यान रखें कि अगर लोक सूचना अधिकारी अधिनियम द्वारा निर्धारित समयावधि के भीतर जवाब नहीं दे पाता, तो आपको सूचना निःशुल्क मिलना चाहिए।44
सूचना उपलब्ध कराने के लिये केन्द्र व सभी राज्य सरकारों ने अलग-अलग शुल्क निर्धारित किये हैं (विवरणों के लिये देखें परिशिष्ट 2)। लोक सूचना अधिकारी द्वारा भेजे गये नोटिस में इस बात को भी बताया जाना चाहिए कि शुल्क की गणना किस प्रकार की गई है।45उदाहरण के लिये, अगर आपने कोई ऐसी सूचना मांगी है जो ए4 आकार के 1,000 पृष्ठों में है और सम्बन्धित सरकार के शुल्क के नियमों में ए4 आकार का एक पृष्ठ उपलब्ध कराने की लागत 2 रू. प्रति पृष्ठ तय की गई है, तो लोक सूचना अधिकारी को दर्शाना होगा कि कुल लागतः 1,000 X 2 = 2,000 रु.। अगर सम्बन्धित सरकार के शुल्क के नियमों में पहले से उल्लेखित नहीं है तो लोक सूचना अधिकारी के पास सूचना को खोजने, एकत्रित करने या प्रोसेस करने के लिये आपसे अतिरिक्त शुल्क लेने की शक्ति नहीं होगी।
आपको भेजे गये निर्णय के नोटिस में लोक सूचना अधिकारी आपसे निर्धारित शुल्क अदा करने के लिये कहेगा ताकि सूचना आपको भेजी जा सके। महाराष्ट्र जैसे कुछ राज्यों में डाक द्वारा सूचना भेजे जाने की लागत को हिसाब लगा कर शुल्क में ही शामिल कर लिया जाता है। लेकिन, अगर आपके लिये स्वयं जा कर सूचना लेना संभव है, तो ऐसा करने के कोई भी कानूनी बाधा नहीं है। याद रखें की किसी दस्तावेज की प्रतियाँ हासिल करने से पहले, आपको शुल्क देकर (केन्द्र सरकार के शुल्क नियमों47 के अनुसार 5 रू. प्रति घंटा) सूचना का निरीक्षण करने का भी अधिकार है। दस्तावेजों का निरीक्षण कर आप सूचना पाने की लागत घटा सकते हैं क्योंकि निरीक्षण के दौरान आप तय कर सकते हैं कि आपको वास्तव में कौन से दस्तावेज की जरूरत है। नोटिस भेजे जाने और अतिरिक्त शुल्क के भुगतान के बीच के समय को सूचना प्रदान करने के लिये तय 30 दिनों की अवधि से निकाल दिया जाता है।
दुर्भाग्यवश, कुछ राज्य सरकारों ने भारी-भरकम अतिरिक्त शुल्क लगा दिये हैं। अगर आपको लगता है कि सूचना के लिये मांगा जा रहा अतिरिक्त शुल्क बहुत ज्यादा है, तो आप विभाग के अपील प्राधिकरण या सम्बन्धित सूचना आयोग से शिकायत कर सकते हैं (विस्तृत विवरणों के लिये देखें भाग 8)। अगर आपके द्वारा अपने गरीबी रेखा से नीचे होने का प्रमाण देने के बावजूद लोक सूचना अधिकारी आपसे सूचना प्रदान करने के लिये पैसा लेता है, तो आपको सम्बन्धित सूचना आयोग के पास शिकायत भेजने का अधिकार है।
अगर लोक सूचना अधिकारी मेरे आवेदन को रद्द कर दे, तो क्या करना होगा?
लोक सूचना अधिकारी केवल तब आपके आवेदन को रद्द कर सकता है जब आपके द्वारा निवेदित सूचना अधिनियम के द्वारा छूट प्राप्त श्रेणी के तहत आती हो (विवरणों के लिये देखें भाग 4) और साथ ही लोक सूचना अधिकारी यह फैसला करे कि उस सूचना को जारी करने में जनहित की सर्वोच्चता का प्रश्न प्रासंगिक नहीं है। इसके अलावा अधिनियम में किसी सूचना को देने से इंकार करने का कोई अन्य औचित्य नहीं है। उदाहरण के लिये, यह कहना भर काफी नहीं है कि सूचना से सरकार या किसी अधिकारी को परेशानी होगी या आपने सूचना चाहने के लिये कोई पर्याप्त सही कारण नहीं बताया है। अब आपके पास सूचना पाने का कानूनी अधिकार है और वस्तुतः गोपनीयता का औचित्य साबित करना उस लोक प्राधिकरण की जिम्मेदारी है।
लोक सूचना अधिकारी को 30 दिन की समयावधि के भीतर आपके आवेदन को रद्द करने के फैसले का लिखित नोटिस आपको देना होगा।51 फैसले के नोटिस में निम्न बातें बताना जरूरी हैः
(क) आवेदन को रद्द किये जाने के कारण, जिनमें छूट की जिस श्रेणी को आधार बनाया जा रहा है, उसके बारे में सूचना तथा लोक सूचना अधिकारी ने फैसला करते वक्त जिन तथ्यों को प्रासंगिक माना, उनके बारे में जानकारी शामिल हैं;
(ख) वह समयावधि जिसके भीतर आप अपील कर सकते हैं; और
(ग) उस अपील प्राधिकरण का नाम/पता और अन्य सम्पर्क विवरण जिसके यहाँ आप अपील कर सकते हैं।
अगर लोक सूचना अधिकारी आपको निर्णय का नोटिस नहीं देता, तो उसे आपके आवेदन को रद्द मानना यानी “डीम्ड रेफ्यूजल” कहा जायेगा। तब आप विभाग के अपील प्राधिकरण में अपील कर सकते हैं या सम्बन्धित सूचना आयोग को शिकायत भेज सकते हैं (विवरणों के लिये देखें भाग 8)।
40धारा 11(1)
41धारा 11(2)42धारा 11(3)
43धारा 7(3)
44धारा 7(6)
45धारा 7(3)(ए)
46धारा 4, महाराष्ट्र के सूचना अधिकार नियम 2005
47धारा 2, केन्द्रीय सूचना अधिकार (शुल्क व लागत नियमन) (संशोधन) नियम 2005
48धारा 7(3)(ए)
49केन्द्रीय सूचना आयोग (2006) अपील नं. 10/1/2005 सीआईसी, 25 फरवरी www.cic.gov.in मार्च 20, 2006
50धारा 7(9)
51धारा 7(8)
52धारा 7(2)
53धारा 10
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